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'जल्लीकट्टु' तमिलवासियों के लिए केवल एक प्रथा नहीं बल्कि पहचान भी है...
तमिलनाडु पूरे भारत में अकेला ऐसा राज्य है जहां बैलों को गाय से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है।'जल्लीकट्टु' के लिए मंदिरों के बैलों का प्रयोग किया जाता है।
चेन्नई। 'जल्लीकट्टु' को लेकर तमिलनाडु में जिस तरह का बवाल मचा है, उसे देखकर हर किसी को एहसास हो गया कि ये त्योहार केवल इस राज्य के लिए एक प्रथा नहीं है बल्कि प्रथा से भी बढ़कर बहुत कुछ है।
आखिर तमिलनाडु में 'जल्लिकट्टू महोत्सव' पर क्यों मचा है बवाल?
आइये जानते हैं इस प्रथा और राज्य के संबंध के बारे में थोड़ा विस्तार से...
- तमिल में 'जली' का अर्थ है 'सिक्के की थैली' और 'कट्टू' का अर्थ है बैल का सिंग।
- इसलिए बैल के सिंग पर 'सिक्के की थैली' बांधकर दौड़ाया जाता है।
- इस खेल की परंपरा 2500 साल पुरानी है।
- चार दिवसीय पोंगल पर्व के तीसरे दिन जल्लीकट्टु का दिन होता है।
- इस दौड़ में जो इंसान बैलों की सिंग को पकड़कर 'सिक्के की थैली' को पा लेता है,वो ही विजेता होता है।
- तमिलनाडु पूरे भारत में अकेला ऐसा राज्य है जहां बैलों को गाय से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है।
- यहां के लोग मानते हैं कि बैल की प्रयोग बैलगाड़ी खींचने, हल चलाने और गर्भधारण के काम आता है इसलिए बैल बहुत उपयोगी है।
- 'जल्लीकट्टु' के लिए मंदिरों के बैलों का प्रयोग किया जाता है।
- जिस बैल को लोग आसानी से पकड़ लेते हैं, उसे कमजोर मान लिया जाता है और उसे घर के कामो के लिए प्रयोग जाता है।
- जो बैल आसानी से पकड़ में नहीं आते हैं उन्हें मजबूत मान लिया जाता है और उसका प्रयोग बैलों के परिवार को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- 'जल्लीकट्टु' से काफी हद तक तमिलवासियों की रोजी-रोटी भी चलती है।
- इसलिए 'जल्लीकट्टु' तमिलवासियों के लिए एक प्रथा नहीं बल्कि एक विश्वास और पहचान है।
जल्लीकट्टू पर अध्यादेश
गौरतलब है कि पशु कल्याण संगठनों ने साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों के साथ हिंसक बर्ताव को देखते हुए इस खेल को बैन कर दिया था,जिसके बाद से लोग इसके लिए प्रदर्शन कर रहे थे फिलहाल जल्लीकट्टू पर अध्यादेश को कानून मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है और इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया है, इसलिए तमिलवासियों ने थोड़ी राहत की सांस ली है।
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English summary
Tamilnadu’s traditional and popular bull-taming sport will be held in three places near Madurai on Sunday morning — without the fear of a Supreme Court ban. Here is some Interesting Facts About it,
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