क्यों और कहां होती है बंसत पंचमी पर भगवान राम की पूजा?
गुजरात और मध्य प्रदेश में फैले दंडकारण्य इलाके में बसंत पंचमी वाले दिन भगवान राम की पूूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन राम, मां शबरी के आश्रम में आए थे।
लखनऊ। आमतौर पर सबको यही मालूम है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन भारत के एक खास जगह पर भगवान रामचंद्र की भी पूजा होती है।
दंडकारण्य इलाके में बसंत पंचमी वाले दिन भगवान राम की पूूजा की जाती है
और उस खास जगह का नाम है गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला दंडकारण्य इलाका, जहां के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर मां सीता को खोजते हुए भगवान राम आये थे और यहीं पर मां शबरी का आश्रम था। जिस दिन भगवान राम ने शबरी के आश्रम में कदम रखा था और उनके झूठे बेर खाए थे, उस दिन बसंत पचंमी था इसलिए इस क्षेत्र के वनवासी इस दिन एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे।
वैसे इतिहासकारों के हिसाब से बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर ने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी का वध करके आत्मबलिदान दिया था, इसलिए भी यह दिन मानक है।
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
बसंत पंचमी के ही दिन हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्मदिन भी है इसलिए भी इसकी खास महत्ता है।
बसंत पंचमी पर क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा?