बसंत पंचमी पर क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा?
ऋतुराज बसंत के आने से केवल इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं,इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
नई दिल्ली। बसंत पंचमी या श्रीपंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। लोग सुबह-सुबह पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती का ध्यान करते हैं और उनकी अराधना करते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
मां सरस्वती का रूप काफी मोहक और सुंदर
कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने जब मानव की रचना की थी तो उसके बाद भी उन्हें अपनी रचनाओं में कुछ कमी अखर रही थी। तभी विष्णु जी उन्हें सलाह दी की वो अपने कमण्डल से जल छिड़कें, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने ठीक वैसा ही किया और जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुईं, शक्ति का रूप काफी मोहक और सुंदर था, उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे में पुस्तक थी।
मां सरस्वती बुद्दि, ज्ञान, शक्ति, कला और संगीत की देवी
ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया, जैसे ही देवी ने वीणा बजाना शुरू किया, पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई, संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई और तब ही ब्रह्मा जी उन्हें वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। मां सरस्वती बुद्दि, ज्ञान, शक्ति, कला और संगीत की देवी हैं, बिना इनके आशीष के कोई भी इंसान प्रगति-पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता।
विद्या और बुद्धि का वरदान
इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है और उनसे विद्या और बुद्धि का वरदान मांगा जाता है।
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