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रक्षा-बंधन को समझने के लिए जरूर पढ़े यह ऐतिहासिक प्रसंग

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बैंगलुरू। भारत परंपराओं और त्योहारों का देश है, यहां के हर त्योहार का अपना एक मकसद और रंग होता है, जो लोगों को और करीब ले आता है। रक्षा-बंधन या राखी भी उन्ही मह्तवपूर्ण रंगो का एक अनमोल हिस्सा है।

राखी: एक धागा प्रेम का

धागों के इस पर्व का भी अपना एक लौकिक महत्व है, भाई-बहन के रिश्तों को और मजबूत करता यह त्योहार सिर्फ प्यार और अपनेपन का संदेश ही नहीं देता बल्कि कर्तव्यों का भी बोध कराता है। राखी के धागे को देखकर हर भाई को अपनी बहन के प्रति कर्तव्यों का आभास होता है। आपको बता दें कि राखी का त्योहार सावन महीने के अंतिम दिन मनाया जाता है।

2015 रक्षाबंधन: जानिए राखी बांधने का सही मुहूर्त और समय

सामान्यत: इस दिन बहनें भाई को ही राखी बांधती हैं, लेकिन ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबन्धियों को भी बांधी जाती है। लेकिन राखी के इस अभूतपूर्व पर्व को समझने के लिए आपको इसके ऐतिहासिक प्रसंगों को समझना बेहद जरूरी है वरना इस पर्व की रंगत अधूरी रह जायेगी।

आईये स्लाइडों के जरिये जानते हैं इस अलौकिक पर्वके ऐतिहासिक प्रसंगों के बारे में...

भविष्य पुराण में वर्णन

भविष्य पुराण में वर्णन

भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया जिसके बाद इंद्र विजयी हुए।

ऐतिहासिक प्रसंग

ऐतिहासिक प्रसंग

राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी।

रानी कर्मावती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी

रानी कर्मावती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी

कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।

सिकन्दर की पत्नी ने पुरूवास को राखी बांधी

सिकन्दर की पत्नी ने पुरूवास को राखी बांधी

सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।

महाभारत में भी उल्लेख

महाभारत में भी उल्लेख

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि जब ज्येष्ठ पाण्डव युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे आप हर आपत्ति से मुक्ति पा सकते हैं।

कृष्ण ने की थी द्रोपदी के लाज की रक्षा

कृष्ण ने की थी द्रोपदी के लाज की रक्षा

महाभारत में ही रक्षाबन्धन से सम्बन्धित कृष्ण और द्रौपदी का एक और वृत्तान्त है। जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया।

English summary
Raksha Bandhan is an ancient festival, and has many myths and historic legends linked to it. For example, the Rajput queens practiced the custom of sending rakhi threads to neighboring rulers as token of brotherhood.
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