बाबा अमरनाथ धाम की यात्रा- पूर्ण विवरण
श्रीनगर। बाबा बर्फानी के दर्शन को इच्छुक लोगों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इस साल जम्मू एवं कश्मीर में अमरनाथ यात्रा 2 जुलाई से आरम्भ होगी और कुल 48 दिन तक चलेगी। ये जानकारी श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने मीडिया को दी है।
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आपको बता दें कि अमरनाथ गुफा दक्षिण कश्मीर के हिमालयवर्ती क्षेत्र में है। यह श्रीनगर से लगभग 141 किमी. की दूरी पर 3,888 मीटर (12,756 फुट) की उंचाई पर स्थित है। इस तीर्थ स्थल पर पहलगाम और बालटाल मार्गों से पहुंचा जा सकता है।
अमरनाथ धाम का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि मध्यकाल के बाद लोगों ने इस गुफा को भुला दिया था। 15वीं शताब्दी में एक बार फिर एक गडरिये, बुट्टा मलिक ने इसका पता लगाया। कहा जाता है कि एक महात्मा ने बुट्टा मलिक को कोयले से भरा हुआ एक थैला दिया। घर पहुंचने पर जब उसने उस थैले को सोने से सिक्कों से भरा हुआ पाया, तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। खुशी के मारे वह महात्मा का धन्यवाद करना चाहता था, लेकिन वह महात्मा उसे कहीं नहीं मिला। इसकी बजाय उसने पवित्र गुफा देखी और उसमें उसे शिवलिंग के दर्शन हुए। उसने ग्रामवासियों को इसके बारे में जानकारी दी। तब से यह तीर्थ यात्रा का पवित्र स्थल बन गया।
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एक और कथा
ऐसी मान्यता है कि काफी समय पहले कश्मीर घाटी जलमग्न हो गई थी और कश्यप मुनि ने अनेक नदियों और नालों के जरिए इसका पानी निकाल दिया। इस प्रकार जब पानी उतर गया, तो भृगु मुनि ने भगवान अमरनाथ के सबसे पहले दर्शन किए। इसके बाद लोगों ने लिंगम के बारे में सुना तो यह आस्था वाले सभी लोगों के लिए यह भगवान भोले नाथ का स्थान बन गया और तब से हर वर्ष लाखों लोग तीर्थ यात्रा करते हैं।
अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा
इस यात्रा के लिए काफी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है क्योंकि यह यात्रा बहुत ज्यादा कठिन है और दुर्लभ रास्तों से होकर गुजरती है।
बड़ी संख्या में लगते हैं कर्मचारी
यात्रा के दौरान राज्य के बड़ी संख्या में कर्मचारियों को काम पर लगाया जाता है, ताकि इस धार्मिक यात्रा के लिए नागरिक और चिकित्सा सुविधाओं के पर्याप्त प्रबंध सुनिश्चित किए जा सकें।
राज्यपाल के नेतृत्व में तीर्थ यात्रा
वार्षिक तीर्थ यात्रा जम्मू और कश्मीर श्री अमरनाथजी तीर्थस्थल अधिनियम 2000 के अंतर्गत गठित श्री अमरनाथजी तीर्थस्थल बोर्ड (एसएएसबी) द्वारा आयोजित की जाती है। बोर्ड के अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल होते हैं।
लेना होता है मेडिकल सर्टिफिकेट
एसएएसबी और राज्य सरकार के निर्देशों पर प्रत्येक तीर्थयात्री को मान्यता प्राप्त डॉक्टर का एक वैध स्वास्थ्य प्रमाणपत्र साथ ले जाना होता है और यात्रा शुरू करने से पहले पंजीकरण कराना होता है।
कैंपों में हजारों टैंट
अमरनाथ यात्रा के पीक सीजन के दौरान बालतल और पहलगाम के दो आधार कैंपों में हजारों टैंट लगाये जाते हैं जहां यात्रियों के सोने-रहने और खाने का इंतजाम किया जाता है।
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