Exlcusive : भगवान कृष्ण का 5241वाँ जन्म दिवस!
अहमदाबाद। जगद्गुरु भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस यानी जन्माष्टमी के लिए भारत ही नहीं, समग्र विश्व में जबर्दश्त उत्साह है। कल यानी 28 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाने वाली हैऔर इसे लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इस बार हम कृष्ण का कौन-सा जन्म दिन मनाएँगे? हम आपको बताए देते हैं। इस बार हम प्रभु कृष्ण का 5 हजार 241वाँ जन्म दिवस मनाएँगे।
वैसे तो हमारे देश में हमारी ही संस्कृति और विरासत को पौराणिक बता कर अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। वो फिर भगवान राम हों या उनके द्वारा निर्मित राम सेतु हो। तमाम किवदंतियों और कथाओं को पौराणिक तथा मान्यताएँ कह कर नकार दिया जाता है। इसी प्रकार आज की पीढ़ी शायद ये भी मानने को तैयार नहीं है कि इस देश में कभी भगवान राम या फिर भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। हालाँकि वाराणसी स्थित वैदिक शोध संस्थानम् के स्वामी ज्ञानांद सरस्वती ने कुछ वर्ष पहले काल-गणना व अपने शोध के जरिए पौराणिक मान्यताओं को धता बता कर ठुकराने वालों को चुनौती दी थी।
आइए तसवीरों के साथ जानते हैं कृष्ण पर किए गए शोध के बारे में :
कृष्ण की जन्म तिथि : 21 जुलाई, -3228
इस शोध के अनुसार भगवान कृष्ण की जन्म तारीख 21 जुलाई थी। वर्तमान ईस्वी सन के मुताबिक गिनें, तो भगवान कृष्ण का जन्म वर्ष -3228 था अर्थात् भगवान कृष्ण की जन्म तारीख 21 जुलाई, -3228 थी। इस तरह कृष्ण ने ईसा पूर्व 3228 में मथुरा में जन्म लिया था। इस गणना के मुताबिक भगवान कृष्ण का इस बार हम 5241वाँ जन्म दिवस मनाने जा रहे हैं।
मार्गशीर्ष में महाभारत
वैदिक शोध संस्थानम के मुताबिक महाभारत का युद्ध ईसा पूर्व 3138 में मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा के दिन शुरू हुआ था।
89 वर्ष की आयु में गीता संदेश
इस शोध के मुताबिक महाभारत के युद्ध के समय कृष्ण की आयु 89 वर्ष थी। कृष्ण ने 89 वर्ष 2 माह 7 दिन की उम्र में अर्जुन को सम्बोधित करते हुए समग्र विश्व को गीता का संदेश दिया था।
125 वर्ष की आयु
शोध के मुताबिक भगवान कृष्ण की आयु 125 वर्ष 7 माह 7 दिन थी।
कृष्ण निर्वाण : 18 फरवरी, -3102
भगवान कृष्ण ने इस पृथ्वी पर 125 साल 7 माह 7 दिन विचरण किया और उसके बाद उनका निर्वाण हुआ। ज्ञानानंद सरस्वती की गणना के मुताबिक भगवान कृष्ण की निर्वाण तिथि 18 फरवरी थी। ईसा पूर्व 3102 में भगवान कृष्ण ने 18 फरवरी को सौराष्ट्र (गुजरात) में प्रभास पाटण स्थित भालका तीर्थ में देह त्याग किया था।