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उत्तराखंड प्रलय: मां गंगे क्या भूल हमारी - क्यों ये प्रलय आज ले आई हो
क्यों अपने ही भक्तों पे माते-युं अट्ठाहास कर धायी हो !!"
हम
मात
आपकी
भक्ति
करते-श्रद्धा
से
पूजन
कर
पुष्प
चढाते
हैं
!
हम
तव
पावन
जल
लेकर
माते
-
जा
शिव
को
भेंट
चढाते
हैं
!!
क्यों
माते
फिर
आज
अपने-
ये
विकराल
रूप
बनाया
है
!
गिरि,विटप,अवनि,
मानव
-सबको
ही
एक
साथ
बहाया
है
!!
क्रोध
मात
अब
शांत
करो-
नित
'नितिन'
शीश
झुकाता
है
!
रहम
करो
अब
हे
सुरेसरी-नही
विश्वास
भक्त
का
जाता
है!!
हुआ
विनाश
जो
आज
अवनि
मे-
उसका
भरण
आप
ही
कर
दो
मां!
बस
खुशहाल
होय
वो
राज
पुन:-
मुझे
आज
यही
तुम
वर
दो
मां
!!
Comments
English summary
A Toching Poetry on Uttarakhand Flood written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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