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उत्तराखंड प्रलय: मां गंगे क्या भूल हमारी - क्यों ये प्रलय आज ले आई हो

By कवि -'चेतन्' नितिन राज खरे 'चित्रवंशी'
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"मां गंगे क्या भूल हमारी - क्यों ये प्रलय आज ले आई हो !
क्यों अपने ही भक्तों पे माते-युं अट्ठाहास कर धायी हो !!"

हम मात आपकी भक्ति करते-श्रद्धा से पूजन कर पुष्प चढाते हैं !
हम तव पावन जल लेकर माते - जा शिव को भेंट चढाते हैं !!

क्यों माते फिर आज अपने- ये विकराल रूप बनाया है !
गिरि,विटप,अवनि, मानव -सबको ही एक साथ बहाया है !!

क्रोध मात अब शांत करो- नित 'नितिन' शीश झुकाता है !
रहम करो अब हे सुरेसरी-नही विश्वास भक्त का जाता है!!

हुआ विनाश जो आज अवनि मे- उसका भरण आप ही कर दो मां!
बस खुशहाल होय वो राज पुन:- मुझे आज यही तुम वर दो मां !!

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English summary
A Toching Poetry on Uttarakhand Flood written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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