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कविता: बुन्देलखण्ड के हम वासी हैं...
वीर भूमि आल्हा ऊदल की -हमको प्राणों से प्यारा है !!
यह
परमालिक
की
राजधानी-यह
युद्ध
भूमि
मल्खाने
की!
यह
कर्मभूमि
जो
रणवीरों
की-
रण
मे
छुट्टी
करे
जमाने
की!!
जहां
की
माटी
मे
बारुद
है
-
है
खून
जहां
के
पानी
मे
,
घर
घर
बसें
जहां
शूरमा
-
है
जोश
जहां
की
वानी
मे
!!
धन
दौलत
की
नही
कमी
-
बुन्देलखण्ड
के
खजाने
मे,
यहां
का
पत्थर
भी
सोना
है-
है
बिकता
सारे
जमाने
मे
!
बुन्देलखण्ड
के
कश्मीर
मे
-
स्वर्ग
अभी
भी
बसता
है
!
चरखारी
की
उस
जगीर
को-अमरीका
भी
तरसता
है
!!
जहां
की
माटी
में
है
पैदा
-अरे
बहुतेरे
वीर
जवान
हुए
!
समर
के
किस्से
उन
वीरों
के-
अमर
कथा
पुराण
हुए!!
बुन्देलखण्ड के हम वासी हैं- महोबा जिला हमारा है !
वीर भूमि आल्हा ऊदल की -हमको प्राणों से प्यारा है !!
Comments
English summary
A Toching Poetry on Bundelkhand written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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