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कविता - फिर पल ये कल बन जायेगा
फिर पल ये कल बन जायेगा !
छोडकर ये यादें सुनहरी ,
इक वक्त अटल बन जायेगा !!'
'इस
पल
को
हम
लें
ऐसे
संवार,
करके
कुछ
उत्तम
है
कार
!
लाके
कुछ
अक्षय
बहार
,
दे
कोटि
अपनी
सांसें
हैं
वार
!!'
'दे
कोटि
अपनी
सांसें
हैं
वार
,
इस
पल
को
ऐसा
मोड
दें
!
करके
कुछ
कारज
अनूठे,
इक
छाप
जग
में
छोड
दें
!!'
'इस
अनमोल
पल
को
ऐसे
बितायें,
नित
पुष्प
नवीन
खिलाने
मे
!
जो
पाते
न
इंसाफ
कभी
हैं,
अब
उनको
न्याय
दिलाने
मे
!!'
'पर
पग-प्रच्क्षों
पे
पाकर
के
प्यार-प्रण
पूर्ण
प्रतिज्ञा
कर
डालो
।
प्रति
पल
लो
आशीष
बडों
का
-
न
कभी
अवज्ञा
कर
डालो
॥'
'फिर
पल
ये
इक
कर
दो
निसार
-
नित
नयी
रोशनी
लाने
मे
।
छटा
दो
इक
ऐसी
बिखेर
कि-
नित
खुशबू
रहे
जमाने
मे
॥'
Comments
English summary
A Touching Poetry on Importance of time written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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