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कविता - फिर पल ये कल बन जायेगा

By कवि - 'चेतन' नितिन राज खरे 'चित्रवंशी'
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'हैं जी रहे हम जो आज पल,
फिर पल ये कल बन जायेगा !
छोडकर ये यादें सुनहरी ,
इक वक्त अटल बन जायेगा !!'

'इस पल को हम लें ऐसे संवार,
करके कुछ उत्तम है कार !
लाके कुछ अक्षय बहार ,
दे कोटि अपनी सांसें हैं वार !!'

'दे कोटि अपनी सांसें हैं वार ,
इस पल को ऐसा मोड दें !
करके कुछ कारज अनूठे,
इक छाप जग में छोड दें !!'

'इस अनमोल पल को ऐसे बितायें,
नित पुष्प नवीन खिलाने मे !
जो पाते न इंसाफ कभी हैं,
अब उनको न्याय दिलाने मे !!'

'पर पग-प्रच्क्षों पे पाकर के प्यार-प्रण पूर्ण प्रतिज्ञा कर डालो ।
प्रति पल लो आशीष बडों का - न कभी अवज्ञा कर डालो ॥'

'फिर पल ये इक कर दो निसार - नित नयी रोशनी लाने मे ।
छटा दो इक ऐसी बिखेर कि- नित खुशबू रहे जमाने मे ॥'

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English summary
A Touching Poetry on Importance of time written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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