गणेश चतुर्थी पर कैसे करें पूजन और गणपति के दर्शन?
[पं अनुज के शुक्ल] भगवान गणेश के शरीर का प्रत्येक अंग प्रकृति की अद्भुत कला का द्योतक है। गणेश जी एक दांत शक्ति का प्रतीक है। गणेश की सूड़ पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचायें, दायें हाथ में वर, बायें हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभि में ब्रहमांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रहमलोक विराजमान है। प्रथम देवता गणेश जी के सामने से दर्शन करने पर समृद्धि, शान्ति व सकारात्मकता उर्जा प्राप्त होती है।
मान्यता के अनुसार गणेश जी की पीठ पर दरिद्रता निवास करती है, इसलिए गणेश की मूर्ति की पीठ कभी भी भवन की तरफ नहीं होनी चाहिए। भगवान गणेश की उपासना के लिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी के 10 दिन मनोकामना और दुःखों को दूर करने के लिए अति शुभ है। इस उत्सव का समापन अनन्त चतुर्दशी के दिन श्राी गणेश की मूर्ति को समुद्र में विसर्जित करने के पश्चात होता है। इस बार 9 सितम्बर से लेकर 18 सितम्बर तक गणेश जी का उत्सव मनाया जायेगा
क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी?
एक दिन गणेश चूहे की सवारी करते समय फिसल गये तो चन्द्रमा को हॅसी आ गयी। इस बात पर गणेश काफी क्रोधित होकर चन्द्रमा को श्राप दे दिया कि चन्द्र अब तुम किसी के देखने के योग्य नहीं रह जाओगे और यदि किसी ने तुम्हें देख लिया तो पाप का भागी होगा। श्राप देकर गणेश जी वहां से चले गये। चन्द्रमा दुःखी व चिन्तित होकर मन नही मन अपराधबोध महसूस करने लगा कि सर्वगुण सम्पन्न देवता के साथ ये मैंने क्या कर दिया?
चन्द्रमा के दर्शन न कर पाने के श्राप से देवता भी दुःखी हो गये। तत्पश्चात इन्द्र के नेतृत्व में सभी देवताओं ने गजानन की प्रार्थना और स्तुति प्रारम्भ कर दी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वर मांगने को कहा। सभी देवताओं ने कहा- प्रभु चन्द्रमा को पहले जैसा कर दो, यही हमारा निवेदन है। गणेश जी ने देवताओ से कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता हूं। किन्तु उसमें कुछ संशोधन कर सकता हूं।
जो
व्यक्ति
जाने-अनजाने
में
भी
भाद्र
शुक्ल
चतुर्थी
को
चन्द्रमा
के
दर्शन
कर
लेगा,
वह
अभिशप्त
होगा
और
उस
पर
झूठे
आरोप
लगाये
जायेंगे।
यदि
इस
दिन
दर्शन
हो
जाये
तो
इस
पाप
से
बचने
के
लिए
निम्न
मन्त्र
का
पाठ
करें-
"सिंह
प्रसेनमवधीत्सिंहो
जाम्बवता
हतः
सुकुमारक
मा
रोदीस्तव
ह्रोष
स्यमन्तकः"
देवताओं ने चन्द्र से कहा तुमने गणेश पर हंसकार उनका अपमान किया है और हम लोगों ने मिलकर तुम्हारे अपराध को माफ करने की क्षमा-याचना की है, जिससे प्रसन्न होकर गजानन से सिर्फ एक वर्ष में भाद्र शुक्ल चतुर्थी को अदर्शनीय रहने का वचन देकर अपना श्राप अत्यन्त आशिंक कर दिया है। आप भी गणेश जी की शरण में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शुद्ध होकर संसार को शीतलता प्रदान करें। गणेश चतुर्थी पूजन के लिये 11 मन्त्र स्लाइडर में। साथ में गणपति के नामों के अर्थ।
ऋण से मुक्ति के लिए
"ऊँ
गणेश
ऋणं
छिन्धि
वरणयं
हुं
नमः
फट"
इस
मन्त्र
की
एक
माला
का
जाप
करें।
संकट नाश के लिए
"ऊँ
नमो
हेरम्ब
मदमोहित
मम
संकटान
निवारय
स्वाहा"
इस
मन्त्र
की
1
माला
का
जाप
करें।
वशीकरण के लिए
"ऊँ
श्रीं
गं
सौम्याय
गणपते
वरवरद
सर्वजनं
मे
वशमानय
स्वाहा"
निम्न
मन्त्र
की
5
माला
का
जाप
करें।
किसी तान्त्रिक क्रिया को नष्ट करने के लिए
"ऊँ
वक्रतुंडाय
हुम"
इस
मन्त्र
का
जाप
करते
वक्त
मुंह
में
पान,
सुपारी,
लौंग,
इलायची,
गुड़
आदि
होना
चाहिए।
इसकी
साधना
में
पवित्रता
का
विशेष
ध्यान
रखना
होगा।
आलस्य, निराशा, कलह व विपत्ति नाश के लिए
"गं
क्षिप्रप्रसादनाय
नमः"
मन्त्र
की
कम
से
2
माला
का
जाप
करें।
धन व आत्मबल प्राप्ति के लिए
"ऊँ
गं
नमः"
निम्न
मन्त्र
की
एक
माला
का
जाप
करें।
आर्थिक समृद्धि व रोजगार प्राप्ति के लिए
"ऊँ
श्रीं
गं
सौभ्याय
गणपते
वर
वरद
सर्वजनं
मे
वशमानय
स्वाहा"
इस
मंत्र
की
एक
माला
का
जाप
करें।
विवाह में आने वाली बाधाओं के लिए
"ऊँ
वक्रतुण्डैक
दंष्टाय
क्लीं
ह्रीं
श्रीं
गं
गणपते
वर
वरद
सर्वजनं
में
स्वाहा"
मंत्र
की
कम
से
कम
1
माला
का
जाप
करने
से
विवाह
में
आने
वाली
बाधायें
दूर
होगी
और
सुन्दर
जीवन
साथी
प्राप्त
होगा।
सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिये
"गं
गणपते
नमः"
मन्त्र
का
जाप
करने
से
लगभग
सभी
प्रकार
की
मनोकामनायें
पूर्ण
होगी।
गणेश के बारह नाम लें
विद्या अध्ययन करते समय, विवाह के समय, भवन में प्रवेश करते समय, यात्रा करते समय, रोजगार के शुभारम्भ में, किसी भी शुभ कार्य करते समय गणेश के बारह नाम लेने से कार्यो में किसी भी प्रकार की अड़चने नहीं आयेंगी।
गणपति के 12 नाम
1- सुमुख, 2- एकदन्त, 3- कपिल, 4- गजकर्ण, 5- लम्बोदर, 6- विकट, 7- विनायक, 8- धूम्रकेतु, 9- गणाध्यक्ष, 10- भालचन्द्र, 11- गजानन, 12- विघ्रनाशन।
गणेश के बारह नामों के अर्थ
इन नामों का अर्थ- 1- सुन्दर मुख वाले, 2- एक दांत वाले, 3- कपिल वर्ण के, 4- हाथी के कान वाले, 5- लम्बे पेट वाले, 6- विपत्ति का नाश करने वाले, 7-न्याय करने वाले, 8- धुये के रंग वाली पताका वाले, 9- गुणों के अध्यक्ष, 10- मस्तक में चन्द्रमा धारण करने वाले 11- हाथी के समान मुख वाले और 12- विघ्नों को हरने वाले।